अर्जुन झा-
◾️चढ़ावे से प्रसन्न हो पदोन्नत शिक्षकों को वांछित जगह पर पोस्टिंग दे रहे शिक्षा विभाग के अफसर
◾️पदोन्नति और पदस्थापना के लिए शिक्षा विभाग में जमकर लेनदेन
◾️1200 शिक्षकों को मिली पदोन्नति मनचाही शाला पाने के लिए जुगाड़
जगदलपुर. कहते हैं भोग प्रसाद चढ़ाने से देवी देवता भी प्रसन्न हो जाते हैं और मनवांछित फल देते हैं. कुछ ऐसा ही चढ़ावे का उपक्रम शिक्षा विभाग में भी चल रहा है. शिक्षा विभाग को शासन का सबसे निरीह विभाग माना जाता रहा है, लेकिन इस मिथक को बस्तर के शिक्षा विभाग ने तोड़ दिया है. अब तो भ्रष्टाचार के मामले में शिक्षा विभाग बस्तर दो कदम आगे निकल चुका है. इस विभाग में चढ़ावे के बिना कोई काम नहीं होता. विभाग के जिला स्तर के अधिकारियों ने बेजा कमाई के अनेक रास्ते निकाल लिए हैं. अभी शिक्षक शिक्षिकाओं के प्रमोशन में धन उगाही का खुला खेल खेला गया और अब पदस्थापना के नाम पर तगड़ी वसूली चल रही है. विभाग के बड़े अफसर देवी – देवता की भूमिका में हैं और उनके आगे श्रद्धा के साथ धन रूपी प्रसाद का अर्पण कर रहे हैं पदोन्नति प्राप्त वे शिक्षक – शिक्षिकाएं, जिन्हें मनचाही शाला में पदस्थापना पानी है. प्रसाद से प्रसन्न होकर अधिकारी उन्हें ऐसा वरदान दे भी रहे हैं. खबर है कि मनचाही शाला में पोस्टिंग के लिए एक लाख रु. तक की रेट चल रही है.
सूत्रों के मुताबिक हाल ही में बस्तर के शिक्षा विभाग ने 12 सौ शिक्षकों को पदोन्नत कर प्रधान पाठक बनाया है। पदोन्नति देने के मामले में जिले के विभागीय अफसरों ने मोटी कमाई की है. कहने को तो पदोन्नति प्रक्रिया के लिए चार सदस्यों वाली कमेटी बनाई गई थी, लेकिन कमेटी ने वैसी ही पदोन्नति सूची तैयार की जैसा कि विभाग के स्थानीय बड़े अफसर चाहते थे. पदोन्नत शिक्षक और शिक्षिकाएं अब वांछित शालाओं में पदस्थापना पाने के लिए एकबार फिर शिक्षा विभाग के देवों को प्रसन्न करने में जुट गए हैं। पसंद वाले स्थानों पर पदस्थापना को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर में शिक्षकों का हुजूम देखा जा सकता है। पदोन्नति और पदस्थापना को लेकर शिक्षा विभाग में प्रसाद चढ़ावे का खूब खेल चल रहा है और नियमों को दरकिनार करते हुए कई अपात्र शिक्षक – शिक्षिकाओं को भी पदोन्नति का वरदान दे दिया गया है।
ज्ञातव्य हो कि बस्तर जिले की प्राथमिक शालाओं के शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही शिक्षा विभाग के प्रमुख, उनके दफ्तर के सेवादार अधीनस्थ बाबू पदोन्नति पाने वाले शिक्षकों के लगातार संपर्क में रहते हुए अफसर को खुश करने के जुगाड़ में लग गए थे। ऐसी खबर है कि शिक्षक – शिक्षिकाओं को अच्छा खासा चढ़ावा अर्पित करने के बाद ही पदोन्नति हाथ लगी है। अब नई खबर यह सामने आई है कि अधिकांश पदोन्नत शिक्षक शिक्षा विभाग के बिचौलियों से संपर्क कर अपनी पसंद के स्थानों पर पदस्थापना कराने के जुगाड़ में लगे हैं. इस खेल को अंजाम देने में में राजनीतिक दलों के नेताओं से लेकर डीईओ, जिला शिक्षा कार्यालय का स्टाफ एवं शिक्षक संघ के कुछ पदाधिकारी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। खबर है कि पदस्थापना में लाखों के वारे न्यारे किए जा रहे हैं। वांछित शाला में पदस्थापना के लिए एक लाख रुपए की डिमांड की जा रही है. मामले की गंभीरता से जांच हुई तो शिक्षा विभाग के सौदागर बेनकाब हो सकते हैं।
◾️दिखावे की थी प्रमोशन कमेटी
शिक्षा विभाग के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार पदोन्नति एवं पदस्थापना की प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए चार सदस्यीय टीम गठित की गई थी। टीम के सदस्यो के अनुमोदन के बाद जिला शिक्षा विभाग से फाईनल सूची जारी की गई। खबर है कि चार सदस्यीय टीम महज दिखावे के लिए थी। सदस्यों को जिला शिक्षा कार्यालय से जैसा आदेश- निर्देश मिला उसी के अनुसार कार्य को अंजाम दिया गया है। शिक्षा विभाग में चर्चा है कि पदोन्नति एवं पदस्थापना में जमकर घालमेल हुआ है.
◾️दीगर ब्लॉक में हो पदस्थापना
शिक्षक संघ के कुछ पदाधिकारियों का कहना है कि जिन शिक्षकों को पदोन्नति मिली है उन्हे उनके पुराने स्कूल के बजाय दूसरी जगह पदस्थ किया जाए. संघ ने यह भी मांग की है कि पदोन्नत शिक्षक – शिक्षिकाओं को दूसरे ब्लॉकों में पदस्थ किया जाए। जिला शिक्षा अधिकारी से इस मामले को लेकर प्रतिक्रिया जानने के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने द्वारा फोन रिसीव नहीं किया।
◾️बच्चे की मौत की ये कैसी सजा?
जगदलपुर विकासखंड की प्राथमिक शाला बुरूंदवाड़ा सेमरा की प्राथमिक शाला सेमरा की दूसरी कक्षा के एक छात्र की शाला अवधि के दौरान हुई मौत के मामले में शाला की प्रभारी प्रधान पाठिका के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उसे शहर के मुख्यालय में अटैच कर दिया गया. पालक सवाल कर रहे हैं कि एक बच्चे की मौत पर आखिर ये कैसी सजा है. पलकों का कहना है कि प्रभारी प्रधान पाठिका को विभागीय शहरी कार्यालय में अटैच कर उसे मनवांछित फल दिया गया है. जबकि उसे किसी सुदूर ग्रामीण शाला अथवा जिला मुख्यालय से काफ़ी दूर किसी अन्य विकासखंड शिक्षा कार्यालय में संलग्न करना था. इस तरह बस्तर का शिक्षा विभाग लगातार बेलगाम होता जा रहा है.