राहुल जोगी गुट की ओर से मध्यप्रदेश के चंबल बुंदेलखंड से लेकर राजस्थान उत्तर प्रदेश तक बगावत की शुरगुराहट से कांग्रेस को झटका लग सकता है!!
मध्यप्रदेश- लंबे समय से सुनते आ रहे है कि राजनीति में ना हीं कोई दुश्मन होता है और ना ही कोई दोस्त कई बार ये बाते आंखों के सामने वर्तमान दौर में सच साबित होती दिखाई देती है। आज हम आपको एक ऐसे ही किसी शख्स के बारे में बताने जा रहे है जिसने बहुत ही कम उम्र में अपने राजनीतिक दाव पेचों से क्या मध्य प्रदेश क्या उत्तर प्रदेश क्या राजस्थान तो क्या नेपाल भूटान इत्यादि तक ये सिद्ध किया है कि राजेतिक दंगल के वो कितने माहिर खिलाड़ी है उनके साथियों के प्रति उनकी निष्ठा और राजनीतिक कूटनीतियों के बारे में पूरी जानकारी देने हेतु हम आपको लेकर चलते है।
2019 मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार में एक युवा जो कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की और से मध्य प्रदेश के सह प्रभारी नियुक्त करके भेजे गए थे। 21 अगस्त 1990 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जन्मे राहुल जोगी मध्य प्रदेश में कांग्रेस को लोकसभा में जीत दिलाने हेतु पूरे मध्य प्रदेश के साथ-साथ चंबल और बुंदेल खंड में जोरदार पसीना बाह रहे थे उनको कांग्रेस के पुराने वफादारों में आज भी माना जाता है।
राहुल जोगी ने मानो दूर के राजीतिक दृष्टिकोण को भांपते हुए चंबल और बुंदेलखंड को विशेष तौर पर आने वाले समय के लिए तैयार किया हो उनका राजनीतिक कद यही तक सीमित नहीं था। हरियाणा और पंजाब के कुछ जिलों को लेकर राजस्थान और पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी राहुल जोगी द्वारा एक बड़ा वोट बैंक तैयार किया गया लोगों ने जातिवाद को दरकिनार कर उनको बड़े पैमाने पर अपनाया है। लोगों में उनकी दीवानगी का आलम इस कदर देखा गया है कि 2019 में हुए एक सामाजिक आंदोलन में उनके एक इशारे पर उत्तर भारत में करीब 128 जिलों में उनके समर्थिकों ने बड़ी संख्या में धरना प्रदर्शन किया और जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिए लेकिन पार्टी के प्रति उनकी ये निष्ठा आज विपरीत दिशा में जाने के संकेत सूत्रों के माध्यम से मिल रहे है।
बताया जा रहा है कि राहुल जोगी राजनीतिक स्तर पर पिछड़े गरीब और नए लोगों को राजनीति में आगे लाने और प्रतिनिधत्व देने की विचारधारा को महत्त्व देते है। वे अपने समर्थकों की वकालत इस स्तर तक करते है कि कई बार पार्टी हाइकमान के साथ उनके मनमुटाव जग जाहिर है। उनकी नाराजगी का आलम यहां तक रहा है कि लोकसभा चुनाव 2019 के बाद उन्होंने कांग्रेस के कई पदों से लिखित तौर पर इस्तीफा दे दिया था, जोकि शायद स्वीकार किया गया या नहीं इस बारे में कहना मुश्किल होगा पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा डोलने के पीछे का कारण चुनावी समय में उनके समर्थकों को ज्यादा मौका नहीं दिया जाना बताया जा रहा है सूत्रों से पता लगता है कि विधानसभा सभा चुनाव के दौरान राहुल जोगी गुट से मध्य प्रदेश में सिर्फ तीन लोगों को और उत्तर प्रदेश में दो और राजस्थान में एक व्यक्ति को ही विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया गया।
वही लोकसभा की माने तो शायद सिर्फ राजस्थान से एक व्यक्ति को जोगी गुट से मौका मिला है वहीं मध्य प्रदेश और राजस्थान से उनके करीब दो-दो लोगों को सरकार में काम करने का मौका मिला है, लेकिन धरातल पर लोग बताते है कि मध्यप्रदेश के चंबल में राहुल जोगी का बड़ा वोटबैंक है। उन्होंने माझी समाज, परिहार समाज, स्वर्णकार समाज इत्यादि सहित बड़े पैमाने पर स्वर्ण और पिछड़ों को अपने पक्ष में लाने का काम किया है। राहुल जोगी ने चंबल के शिवपुर शिवपुरी भिंड मुरैना दतिया निवाड़ी टीकमगढ़ तक खूब पसीना दिन रात बहाया है। वहीं पश्चिम उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, गाजियाबाद और राजस्थान के अलवर, धौलपुर, भरतपुर, दौसा से लेकर अजमेर तक राहुल जोगी के समर्थकों की बड़ी तादात मानी जाती है, तो हरियाणा भी इसे वंचित नहीं रह पाया कुरूक्षेत्र, करनाल, पानीपत, सोनीपत तक बड़ी मात्रा में इस युवा का प्रभाव माना जाता है।
इन सब बातों के आशय से ये तो साफ होता है कि राहुल जोगी पार्टी में अपने गुट के लोगों को दरकिनार किए जाने को लेकर रूष्ट चल रहे है क्यूंकि 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी भूमिका बहुत कम देखने को मिली। तो वहीं मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड चंबल समर्थकों की बैठक के दौरान कुछ ऐसे तथ्य सामने जरूर आए जिसे ये तो साफ जाहिर होता है कि यदि राहुल जोगी जैसे नेता पार्टी का दामन छोड़ते हैं तो कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है। क्योंकि बीते दिनों राहुल जोगी को भाजपा के कई बड़े नेताओं के साथ वार्तालाप करते हुए देखा गया था।
आपको बता दे कि राहुल जोगी हमेशा से ही पर्दे के पीछे की राजनीति के बड़े खिलाड़ी माने जाते है वो चुनाव लड़ने पर कम और लड़ाने पर शायद ज्यादा विश्वाश रखते है वो हमेशा अपने ट्वीट और सोशल पोस्ट पर कहते पाए गए है कि मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे। बीते दिनों हुई इस हलचल से कांग्रेस को फायदा होगा या नुकसान और जोगी की खामोशी में क्या छिपा है राज ये तो आने वाला समय भी बताएगा..
जानिए कौन है राहुल जोगी Rahul Jogi
राहुल जोगी Rahul Jogi जन्म 21 अगस्त 1990 को हुआ और ये एक प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ है। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय समन्वयक रहे है लेकिन हिन्दू विचार धारा को महत्त्व देते है। हिन्दू सनातन वाहिनी के राष्ट्रीय अध्य्क्ष भी है तथा मध्य प्रदेश और राजस्थान में योगी गोस्वामी नाथ एवं ब्राह्मण समुदाय मके साथ साथ परिहार पांचाल स्वर्णकार निषाद अन्य कई बड़े वर्गों में बड़ा प्रभाव रखते है। जिनकी प्रसिद्धि भारत के साथ-साथ अन्य देशो जैसे नेपाल भूटान इत्यादि तक फैली है, जोकि रूपा साही खानदान से माने जाते है उनके पूर्वज प्राचीन काल में शामली उत्तर प्रदेश सल्तनत के बड़े पुरोहित माने जाते थे।
नेपाल भूटान विदेशी राजनीति से क्या है कनेक्शन
बताते है कि राहुल जोगी का नेपाल राजनीति में भी बड़ा प्रभाव माना जाता है वो अक्सर नेपाल जाते रहते है नेपाल के पूर्व प्रधान मंत्री पुष्प कमल दाहाल था बहुत से मंत्रियों के साथ उनको अक्सर कार्यक्रमों में देखा जाता है यही नहीं नेपाल से कई बार सरकारी डेलीगेशन भारत आया तो वहा पर भी जोगी की भूमिका मुख्यरूप से देखने को मिली।