लगातार चर्चा में खनिज विभाग की कार्यप्रणाली , सरकार को रॉयल्टी का लगा रहे चुना
बालोद जिला खनिज विभाग के अधिकारियों के लचर कार्यप्रणाली जनता के ज़ुबान पर है , अधिकारियों द्वारा किसी भी प्रकार के अवैध मुरुम उत्खनन की शिकायत पर आंख मूंद लेने के अनूठे कानून पर चलने की बात आम हो चली है..
इसके साथ ही न इनके द्वारा बालोद जिले में बाहरी जिलों से आने वाले रेत से भरी गाड़ियों पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही की जाती है , जिससे सरकार को लाखों के रॉयल्टी की चपत लग रही है ।
किसानों पर तत्काल कार्यवाही , सफाई सुनने का भी वक़्त नहीं , परेशान जिले के किसान
बालोद जिले में धमतरी और कांकेर जिले से बिना रॉयल्टी के रेत भर कर आने वाली गाड़ियों पर किसी प्रकार की कार्यवाही न करने की और सरकार को लाखों के रॉयल्टी की चपत लगाने वाली खनिज अधिकारी यदि किसी किसान के खेत मे गाड़ी की सूचना पाती है , तो बिना किसी सवाल जवाब के तत्काल उसका खेत मैं खड़ी गाड़ी को सील करने से नहीं झिझकती ।
किसके इशारे में माफियाओं को छूट और किसानों से लूट
खनिज विभाग की अधिकारी के इस कार्यप्रणाली पर लोग प्रश्नचिन्ह लगाते हुए चर्चा करने लगे हैं कि आखिर क्यों गरीब किसानों की ज़मीन में खेत बनाने वाली गाड़ी को सील करने की कार्यवाही तत्काल हो जाती है पर वहीं मुरुम उत्खनन पर कार्यवाही नहीं , अंतरजिला रेत माफियाओं पर कार्यवाही नहीं..क्या इन अधिकारी को किसी नेता का आदेश है , या किसी उच्चाधिकारी का आदेश पर ऐसा किया जा रहा है..
इस सवाल का जवाब भी वक़्त के गर्भ में छुपा हुआ है ।
प्रभारी मंत्री से की जायेगी शिकायत
बालोद में दस तारीक। को प्रभारी मंत्री का आग्रमन होने को है जिससे प्रभारी मंत्री से माइनिंग अधिकारी के लिए सवाल पूछे जाएँगे की बालोद ज़िले में कितनी जगह साठगढ्ठ कर बालोद ज़िले का गर्भ चीरने का ठान रखे हो ?
माइनिंग में ख़ुद है विभीषण
जब किस के द्वारा अवैधा मुरूम खनन की शिकायत की जाती है तो कुछ कर्मचारियों के द्वारा मुरूम मफ़ियाओ को जानकारी दे दी जाती है और कार्यवाही करने से पहले ही मफ़ियाओ के द्वारा गाड़ी जगह से हटा लिया जाता है